वेदांत दर्शन में…. संसार माया है,
जैन दर्शन में…. मोह से माया है।
इसलिये संसार को मोह-माया कहा है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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मुनि महाराज जी का कथन सत्य है कि वेदान्त दर्शन में संसार माया है,जबकि जैन दर्शन में मोह से माया है! इसलिए संसार को मोह माया कहा है! अतः जीवन में मोह माया से बचने के लिए जैनदर्शन पर श्रद्वान करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!
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मुनि महाराज जी का कथन सत्य है कि वेदान्त दर्शन में संसार माया है,जबकि जैन दर्शन में मोह से माया है! इसलिए संसार को मोह माया कहा है! अतः जीवन में मोह माया से बचने के लिए जैनदर्शन पर श्रद्वान करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!