मुनि को आहार ना दे पाओ तो जिसके चौके में हुआ हो, उसको आहार दे दो, तुमको मुनि को आहार देने का फल मिल जायेगा ।
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उक्त कथन सत्य है कि मुनि को आहार देने में असमर्थ रहे हो तो कमसे कम अपने चोके में उनको आहार देना, जिसके घर मुनि श्री का आहार हुआ हों तब निश्चित आपको वह फल मिलेगा जो वह अपने चोके में मुनि को आहार दिया गया था। यदि यह सम्भंव न हो तो अनुमोदन कर सकते हों लेकिन उससे आपको कुछ कम पुण्य की प्राप्ति होगी।
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उक्त कथन सत्य है कि मुनि को आहार देने में असमर्थ रहे हो तो कमसे कम अपने चोके में उनको आहार देना, जिसके घर मुनि श्री का आहार हुआ हों तब निश्चित आपको वह फल मिलेगा जो वह अपने चोके में मुनि को आहार दिया गया था। यदि यह सम्भंव न हो तो अनुमोदन कर सकते हों लेकिन उससे आपको कुछ कम पुण्य की प्राप्ति होगी।