7वीं-8वीं शताब्दियों से पहले मूर्तियों पर चिन्ह नहीं मिलते,
कारण !
ताकि एक विशेष भगवान को विशेष महत्व ना मिले ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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यह कथन सत्य है कि 7वीं-8 वीं शताब्दियों के पहिले मूर्तियों पर चिन्ह अकिंत नहीं होते थे इसका कारण किसी भगवान् को विशेष महत्व न दिया जाना ही रहा है।आजकल कुछ भगवान् को चिन्ह देखकर पूजने लगे हैं जो मेरी धारणा के अनुसार उचित नहीं है।सभी भगवान् एक समान है अतः भेदभाव उचित नहीं है लेकिन चिन्हो से भगवान् की पहिचान आवश्यक है।
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यह कथन सत्य है कि 7वीं-8 वीं शताब्दियों के पहिले मूर्तियों पर चिन्ह अकिंत नहीं होते थे इसका कारण किसी भगवान् को विशेष महत्व न दिया जाना ही रहा है।आजकल कुछ भगवान् को चिन्ह देखकर पूजने लगे हैं जो मेरी धारणा के अनुसार उचित नहीं है।सभी भगवान् एक समान है अतः भेदभाव उचित नहीं है लेकिन चिन्हो से भगवान् की पहिचान आवश्यक है।