मोक्षमार्ग

मोक्षमार्ग पर अपने को मज़बूत/सुरक्षित किया जाता है जैसे सुकोशल मुनिराज ने शेर को रोका नहीं (ऋद्धियाँ होने के बावजूद) बल्कि अपने उपयोग को अंदर ले जाकर सुरक्षित कर लिया था ।

मुनि श्री सुधासागर जी

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  1. मोक्ष मार्ग का तात्पर्य सम्यग्दर्शन सम्यक्ज्ञान और सम्यग्चारित्र तीनों की एकता है। इसके दो भेद होते हैं, निश्चय और व्यवहार मोक्ष मार्ग। निश्चय में अभेद रत्नत्रय तथा जिनेन्द्र भगवान के द्वारा कहे गए सात तत्वों पर श्रद्वान व पालन करना होता है, जबकि अहिंसा व़तों का पालन करना व्यवहार मोक्ष मार्ग में कोई भी साधक निर्विकल्प को प्राप्त करता है। इसमें उनको कोई विकल्प नहीं रहता है। अतः मुनि महाराज जी ने जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। इसमें पार्श्वनाथ भगवान का भी उदाहरण है कि उनको कितनी भी परेशानी हुई थी लेकिन विचलित नहीं हुए थे।

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