अपने/पराये

राजा को अपना उत्तराधिकारी चुनने में दुविधा हो रही थी – एक तरफ युवराज था जो की कम योग्य था, दूसरी तरफ पुरोहित का बेटा, जो बहुत योग्य था ।
राजा ने गुरु से सलाह ली और अपनी दुविधा बताई – एक अपना बेटा है और दूसरा पराया, पर है अधिक योग्य ।

क्या करूं ?

गुरु – शरीर के रोग अपने ही होते हैं,
पर उनका उपचार बाहरी जड़ीबूटियों से ही किया जाता है, क्योंकि उनमें बहुत गुण होते हैं ।

Chirping sparrow : April – June 2011

Share this on...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

December 15, 2011

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031