राग
गुरू श्री क्षमासागर जी से पूछा – अपनी माँ को देखकर आपको राग नहीं होता ?
गुरू श्री – सब माँ, बहनों को माँ मानने लगो तो एक माँ में राग क्यों होगा !!
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
गुरू श्री क्षमासागर जी से पूछा – अपनी माँ को देखकर आपको राग नहीं होता ?
गुरू श्री – सब माँ, बहनों को माँ मानने लगो तो एक माँ में राग क्यों होगा !!
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
One Response
मुनिराज नियम से निरागी तब होते हैै,जब सर्व जीव प्रति निष्कारण करूणा का आशीर्वाद बाँटते हैं समान भाव से,समतामय. अर्थ सम्पन्न भक्त के प्रति वही व्यवहार ,जो कि अर्थ विपन्न श्रावक-भक्त के प्रति.यही मुनिराज का सम्यक व्यवहार कहलाता है.