रागद्वेष, कषाय जन्य हैं,
मोह मिथ्यात्व से उत्पन्न/प्रेरित होने वाली चीज है ।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि राग-द्वेष,कषाय जन्य है, लेकिन मोह मिथ्यात्व से उत्पन्न और प़ेरित होने वाली चीज है। अतः जीवन में जब तक मोह दूर नहीं होता हैं,तब तक कषायें बनी रहेंगी।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि राग-द्वेष,कषाय जन्य है, लेकिन मोह मिथ्यात्व से उत्पन्न और प़ेरित होने वाली चीज है। अतः जीवन में जब तक मोह दूर नहीं होता हैं,तब तक कषायें बनी रहेंगी।