विनय को पाने में दान भी सहायक होता है।
कैसे ?
दान से ममकार (मेरा-मेरा) के भाव कम होते हैं तथा पर-उपकार के भाव से हृदय में आर्द्रता/सहृदयता आती है, इनसे विनयशीलता।
नीरज-लंदन
Share this on...
One Response
विनय का तात्पर्य पूज्य पुरुषों का आदर करना एवं रत्नत्रय धारण करने वालों के प़ति नम़ता धारण करना है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि विनय पाने में दान सहायक होता है, दान में मेरा मेरा के भाव कम होते हैं।पर उपकार के भाव से हृदय में आद़ता एवं सहृदयता आती है, इससे विनय शीलता होती है।
One Response
विनय का तात्पर्य पूज्य पुरुषों का आदर करना एवं रत्नत्रय धारण करने वालों के प़ति नम़ता धारण करना है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि विनय पाने में दान सहायक होता है, दान में मेरा मेरा के भाव कम होते हैं।पर उपकार के भाव से हृदय में आद़ता एवं सहृदयता आती है, इससे विनय शीलता होती है।