पूजादि, जिनवाणी (धार्मिक पुस्तक) को हाथ में लेकर करनी चाहिये।
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1. गलत नहीं पढ़ेंगे, सो अनादर नहीं होगा।
2. घमंड नहीं होगा कि मुझे पूरा याद है।
3. ज्यादा देर जिनवाणी हाथ में रहेगी तो शुभ-भाव रहेंगे।
बाहुवली शास्त्री-सांगानेर
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विनय के लिए जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए विनय होना परम आवश्यक है।
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विनय के लिए जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए विनय होना परम आवश्यक है।