विनय करने को कहा, तो ‘अविनय नहीं करना’, कहने की क्या आवश्यकता थी ?
सद्गुणों की विनय करें, किंतु कमजोरीयों की अविनय भी नहीं करें।
चिंतन
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विनय एवं अविनय के लिए जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए हमेशा विनय के भाव रखना परम आवश्यक है। अतः जीवन में सदगुणों का विनय करना परम आवश्यक है।
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विनय एवं अविनय के लिए जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए हमेशा विनय के भाव रखना परम आवश्यक है। अतः जीवन में सदगुणों का विनय करना परम आवश्यक है।
Jain dharm kitna sooksham hai ! Jainam Jayatu shaasanam !