विभाव….पर के निमित्त से।
अशुद्ध भाव….स्वयं के कर्मों से।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने विभाव एवं अशुद्ध भाव का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में विभाव एवं अशुद्ध भाव नहीं रहना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण सम्भव हो सकता है।
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने विभाव एवं अशुद्ध भाव का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में विभाव एवं अशुद्ध भाव नहीं रहना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण सम्भव हो सकता है।