विषय बाहरी, इनके प्रति प्रतिबद्ध हैं ।
कषाय अंतरंग, इसलिए संसार से प्रतिबद्ध हैं ।
विषय से कषाय और कषाय से विषय होते हैं ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी।
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One Response
विषय का तात्पर्य इन्द़ियों के द्वारा जानने योग्य पदार्थो को कहते हैं।अनेक विकल्प रुप एक विषय मन का भी है।
कषाय का मतलब आत्मा में होने वाले क़ोधादि रुप कलुषता को कहते हैं,यह चार प्रकार के होते हैं।
अतः मुनि महाराज का कथन सत्य है कि विषय बाहरी होता है, इसके प्रति हम प्रतिबद्ध हैं। जबकि कषाय अंतरंग होता है, इसलिए संसार से प़तिबद्व होता है। विषय से कषाय और कषाय से विषय होते हैं।
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विषय का तात्पर्य इन्द़ियों के द्वारा जानने योग्य पदार्थो को कहते हैं।अनेक विकल्प रुप एक विषय मन का भी है।
कषाय का मतलब आत्मा में होने वाले क़ोधादि रुप कलुषता को कहते हैं,यह चार प्रकार के होते हैं।
अतः मुनि महाराज का कथन सत्य है कि विषय बाहरी होता है, इसके प्रति हम प्रतिबद्ध हैं। जबकि कषाय अंतरंग होता है, इसलिए संसार से प़तिबद्व होता है। विषय से कषाय और कषाय से विषय होते हैं।