आंखों में पड़ेगा जाला, नाकों से बहेगा नाला, लाठी से पड़ेगा पाला, कानों में पड़ेगा ताला।
तब तू क्या करेगा लाला ?
आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी (22 दिसम्बर ’24)
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आर्यिका श्री पूर्णमती माता जी ने वृद्धावस्था में धर्म को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए बचपन से ही धर्म का आश्रय लेना परम आवश्यक है।
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आर्यिका श्री पूर्णमती माता जी ने वृद्धावस्था में धर्म को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए बचपन से ही धर्म का आश्रय लेना परम आवश्यक है।