वेग / संवेग
वेग की तीव्रता/ आक्रोश = आवेग
काम करने की ज्यादा उत्सुकता = उत्सेग
मद सहित उत्सेग = उद्वेग
वेग रहित अवस्था = निर्वेग
निर्वेगी (चिंता/ आकुलता/ दुःख न होना) के ही संवेग
जैसे दूध गर्म (खदमद-खदमद) → आवेग; उफन गया → उद्वेग, दूध ठंडा → निर्वेग (दूध के साथ मलाई भी)
मलाई = संवेग।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (ति.भा.- गाथा 39)
4 Responses
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने वेग एवं सवेंग को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
1)Yahan par ‘काम’ ka kya abhipyaay hai, please ?
2) ‘खदमद-खदमद’ ka kya meaning hai, please ?
1) कोई भी काम/ action.
2) दूध के उबलते समय की आवाज़।
Okay.