व्यवहार / निश्चय
दूध में घी होता है, इसको आचार्यों ने निश्चय कहा है।
निश्चय ही घी की उपलब्धि है।
निश्चय के लिये समीचीन व्यवहार अनिवार्य है।
व्यवहार में कमी से निश्चय भी डूब जायेगा।
व्यवहार की विधि/ कीमत/ महत्त्व है, निश्चय का नहीं उस पर तो बस श्रद्धान होता है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
One Response
निश्चय अटल होता है, व्यवहार यानी पुरुषार्थ करना आवश्यक है। अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि निश्चय के लिए समीचीन व्यवहार अनिवार्य है व्यवहार की विधी,कीमत महत्व है, लेकिन निश्चय का नहीं उस पर श्रद्वान परम आवश्यक है।