व्रत में पुण्याश्रव/संवर

अहिंसा रूप प्रवृत्ति से पुण्याश्रव और हिंसा की निवृत्ति से संवर ।

ज्ञानशाला

Share this on...

One Response

  1. अहिंसा मन, वचन, काय से किसी जीव को मारने को ही कहते हैं।पुण्य-जो आत्मा को पवित्र करता है।व़त-हिंसा, झूठ, चोरी आदि पापो से निवृत होना होता है।संवर-आस्त्रव का निरोध कहलाता है अथवा कर्म रुके वह कर्मोँ का रुकना संवर कहते हैं।अतः अहिंसा रूप प़वति से पुण्याश्रव होता है जबकि हिंसा की निवृति संवर कहलाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

January 9, 2019

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930