ऐसी आपदा में शांति-धारा से तो शांति प्राप्त होती, फिर मंदिर क्यों बंद किये गये ?
आग लगने पर जल-धारा डालने से शांति होती है, पर मंदिरों में संक्रामक बीमारी फैला कर फिर शांति-धारा करना कहाँ की बुद्धिमत्ता होती !
मुनि श्री प्रमाण सागर जी (29.3.20)
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मुनि महाराज श्री प़माण सागर ने यह कथन सत्य बताया है कि शान्ती धारा सबके शान्ती के लिए की जाती है। लेकिन आज की परिस्थितियों में मन्दिरों में करना उचित नहीं है क्योंकि आपातकाल में सक़मण रोग फैला हुआ है जिसके कारण अन्य लोगों में फैल सकता है।
अतः शान्ती के लिए घर पर शान्तीनाथ भगवान् की जाप करना चाहिए एवं सभी के लिए मंगल भावना की कामना करना चाहिए ताकि सभी प्राणियों को शान्ती मिल सके।
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मुनि महाराज श्री प़माण सागर ने यह कथन सत्य बताया है कि शान्ती धारा सबके शान्ती के लिए की जाती है। लेकिन आज की परिस्थितियों में मन्दिरों में करना उचित नहीं है क्योंकि आपातकाल में सक़मण रोग फैला हुआ है जिसके कारण अन्य लोगों में फैल सकता है।
अतः शान्ती के लिए घर पर शान्तीनाथ भगवान् की जाप करना चाहिए एवं सभी के लिए मंगल भावना की कामना करना चाहिए ताकि सभी प्राणियों को शान्ती मिल सके।