शुद्धोपयोग
जैसे कमरे में कूद कर छत को छूना ।
शुद्धोपयोग मुनिराजों के इतने ही समय का होता है, बाकि समय वे शुभोपयोग में रहते हैं ।
चौथे काल में भी यही स्थिति रहती है, सिर्फ छत छूने का समय कुछ अधिक रहता है ।
सातवें गुणस्थान से तेरहवें तक जाने में 1 Minute से भी कम समय लगता है ।
पं. रतनलाल बैनाड़ा जी