श्रद्धा
बीमार व्यक्ति को गुरु सम्बोधन करने गये। वहाँ कुर्सी रखी थी (व्यक्ति के भगवान के लिये)। वह भगवान को कुर्सी पर कल्पना में विराजमान करके उनसे बातें करता था। गुरु ऐसी श्रद्धा देख खुद प्रेरित हो गये।
(एन. सी. जैन – नोयडा)
बीमार व्यक्ति को गुरु सम्बोधन करने गये। वहाँ कुर्सी रखी थी (व्यक्ति के भगवान के लिये)। वह भगवान को कुर्सी पर कल्पना में विराजमान करके उनसे बातें करता था। गुरु ऐसी श्रद्धा देख खुद प्रेरित हो गये।
(एन. सी. जैन – नोयडा)
One Response
श्रद्धा का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। आचार्य श्री विद्या सागर महाराज जी ने एक बार एक बहिन जी मलेरिया से पीड़ित थी, उसको कहा गया कि नहा लेना, उसने श्रद्धा के कारण नहा लिया और बुखार उतर गया था। उसने महाराज को बताया कि नहा कर आ रही हूँ, महराज ने नहा एक पत्ती आती है, उसको लेना था, जबकि उसने नहा लिया था। अतः यह भी श्रद्धा का उदाहरण है। अतः जीवन का कल्याण करने के लिए देव शास्त्र और गुरु पर क्षद्धान रखना परम आवश्यक है।