श्रावक के मूलगुण
1. जब नवजात बच्चे को 40वें/ 45वें दिन जैन बनाने मंदिर ले जाते हैं तब मद्य, मांस, मधु तथा 5 उदंबरों = 8 का त्याग कराते हैं। (उत्तरदायित्व माता पिता का)
2. जब बच्चा 8 वर्ष का हो जाता है तब → मद्य, मांस, मधु, 5 उदंबर, रात्रि भोजन, अनछने जल का त्याग, नित्य देव-पूजा तथा दान का नियम = 8
3. विवाह के समय मद्य, मांस, मधु का त्याग + 5 अणुव्रत ग्रहण = 8 का नियम दिलाते हैं।
मुनि श्री विभंजनसागर जी
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मुनि श्री विभंजन सागर महाराज जी ने श्रावक के मूलगुण का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः श्रवकों को इनका पालन करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।