श्रुत

श्रुत में सब विषय निबद्ध हैं।
11 पूर्व का ज्ञान तो मिथ्यादृष्टि भी कर सकता है।
पहला शास्त्र “कषाय पाहुण” – आचार्य श्री गुणधर जी,
दूसरा शास्त्र “षट्खण्डागम” – आचार्य श्री पुष्पदंत तथा आचार्य श्री भूतबली जी।
14 पूर्वो में सबसे कम पद “अस्ति नास्ति पूर्व” – 30 X 2 लाख,
सबसे अधिक – “आत्मपूर्व तथा कल्याणवाद” – 26 करोड़ X 2 लाख।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकांड-गाथा- 364, 365, 366)

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4 Responses

  1. मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने श्रुत के लिए उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है!

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