श्रुतज्ञान
केवलज्ञान के लिये द्रव्य-श्रुत की आवश्यकता नहीं,
जैसे शिवभूति महाराज का श्रुतज्ञान ।
पर भाव-श्रुत पूरा होना चाहिये ।
मुनि श्री समयसागर जी
केवलज्ञान के लिये द्रव्य-श्रुत की आवश्यकता नहीं,
जैसे शिवभूति महाराज का श्रुतज्ञान ।
पर भाव-श्रुत पूरा होना चाहिये ।
मुनि श्री समयसागर जी
5 Responses
Can its meaning be explained please?
द्रव्य-श्रुत यानि शास्त्र-ज्ञान,
भाव-श्रुत = द्रव्य को विश्वास-पूर्वक भावों में उतार लेना ।
Okay.
To kya, Shivbhuti maharaj ko “Bhaav-shrut” nahin tha?
Main item में साफ़ लिखा है कि केवल-ज्ञान के लिए भाव-श्रुत जरूरी है,
और महाराज को केवल-ज्ञान था।