संलेखना बोध
आप अपनी अंतिम यात्रा की तय्यारी कर रहे हैं !
आप लोग मेरे शरीर की अंतिम यात्रा की ओर देख रहे हैं;
मैं संसार की अंतिम यात्रा की ओर, जो बहुत महत्वपूर्ण है ।
सो मुझे रागद्वेष कुछ नहीं दिख रहा है, सिर्फ सिध्द भगवान दिख रहे हैं ।
कर्म की अग्नि मुझे जला रही है, मैं ज्ञान और तप से कर्मों को ।
तुम लोग डूबते सूरज को देख कर रो रहे हो, मैं उगते सूरज को देख रहा हूँ ।
यहाँ के कामों को विराम, आगे के कामों की तय्यारी ।
पुण्य के उदय में गाफ़िल न हो जाउँ, सावधान हूँ ।
ॐ नमः सिध्देभ्यः
मुनि श्री चिन्मय सागर जी – 27.9.19
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यह कथन सत्य है कि मुनि श्री चिन्मय सागर महाराज की संलेखना चल रही है जिसमें राग द्वेष नहीं दिख रहा है, बल्कि सिद्व भगवान् नजर आते हैं। मैं उनकी संलेखना देख रहा हूं वह सिर्फ चेतना की ही बात कर रहे हैं। अतः यह सुनिश्चित है कि उनकी संलेखना सफलता पूर्वक हो रही है जिसमें उनको सिद्व भगवान् की अवश्य प़ाप्ती हो सकती हैं।
ओम नमः सिध्द्वेभ्य।