सल्लेखना
1982 में ब्र. राजाराम जी नैनागिर में सल्लेखना कर रहे थे। जल पर आ गये थे। एक दिन उनकी नज़र सेब पर जा रही थी।
आचार्य श्री विद्यासागर जी ने आहार में सेब दिलवा दिया, पर मुँह से बाहर निकल आया।
जल का भी त्याग करके बैठ गये।
3 दिन बाद शांतिपूर्वक संबोधन सुनते-सुनते देह त्याग दी।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
One Response
मुनि श्री क्षमासागर महाराज जी ने सल्लेखना का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः सल्लेखना शान्तिः पूर्वक ही होना चाहिए।