संसार का मतलब संसरण या आवागमन है, इसमें कर्म के अनुरूप फलादि, आत्मा को भवान्तर प्राप्ति होना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि शुभ और पाप ही संसार है, लेकिन इसमें अशुभोपयोग से बच सकते हैं। जीवन में पापों से बचना ही परम आवश्यक है ताकि अशुभ कर्मों से बचा जा सकता है।
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संसार का मतलब संसरण या आवागमन है, इसमें कर्म के अनुरूप फलादि, आत्मा को भवान्तर प्राप्ति होना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि शुभ और पाप ही संसार है, लेकिन इसमें अशुभोपयोग से बच सकते हैं। जीवन में पापों से बचना ही परम आवश्यक है ताकि अशुभ कर्मों से बचा जा सकता है।
First line me “shubh” hai ya “ashubh”?
सही कहा,
सुधार दिया ।
आशीष ।
Dhanyawaad Uncle !