केवलज्ञान वामन (अन्य सारे संस्थानों के साथ भी) संस्थान के साथ भी हो सकता है तथा केवलज्ञान के बाद भी वही बना रहेगा क्योंकि इसका उदय 13 गुणस्थान तक रहता है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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मुनि महाराज जी का कथन सत्य है कि 13 वें गुणस्थान तक संस्थान वामन का उदय रहता है! केवलज्ञान होने के बाद कोई विकल्प नहीं रहता है !
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मुनि महाराज जी का कथन सत्य है कि 13 वें गुणस्थान तक संस्थान वामन का उदय रहता है! केवलज्ञान होने के बाद कोई विकल्प नहीं रहता है !
‘वामन ‘ aur ‘संस्थान’ ka kya meaning hai, please ?
संस्थान यानि आकार।
ये 6 प्रकार के होते हैं, उनमें से एक वामन होता है, बौना आकार ।
Okay.
Yeh jo upar kaha hai, wo share sansthaanon ke liye applicable hai na, including ‘Vaaman’ sansthaan ?
हाँ, सारे संस्थान वाले केवलज्ञान पा सकते हैं।
It is now clear to me.