संहनन
विद्याधर, मनुष्य, संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंच तथा कर्म भूमि के सारे तिर्यंचों के – एक से लेकर 6 संहनन होते हैं।
– असंज्ञी तिर्यंच, विकलेंद्रिय, लब्धिपर्याप्तक के-असंप्राप्तासृपाटिका संहनन होता है।
– परिहार विशुद्धि में – ऊपर के एक से तीन संहनन ।
– भोगभूमि पुरूष और स्त्री के – पहला संहनन ।
– एक से सात गुणस्थान में-एक से 6 संहनन ।
– उपशम श्रेणी में – ऊपर के एक से तीन।
– श्रपक श्रेणी, सयोग केवली के – पहला संहनन ।
– अयोगकेवली, देव, नारकी, आहारक शरीर, एक इंद्रिय तथा विग्रह गति में – कोई संहनन नहीं होता।
(जिज्ञासा समाधान-पेज 61)