आज जिन-दर्शन करते समय भगवान का श्वासोच्छ्वास नज़र नहीं आ रहा था। फिर समझ में आया कि श्वासोच्छ्वास नज़र तो समवशरण में भी नहीं आता है, क्योंकि वह बहुत हल्का-हल्का चलता है, और भगवान के एक दम क़रीब तो कोई जाता नहीं।
चिंतन
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दर्शन का तात्पर्य जो मोक्ष मार्ग को दिखाता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि आज दर्शन करने पर, भगवान् की श्र्वासोच्वास नज़र नही आती है, लेकिन दर्शन करते समय उनको समोसरण में बेठे हुए समझना चाहिए,जब भगवान का समोसरण से उनकी वाणी बिखरती है। अतः जीवन में भगवान् के दर्शन करते समय उनके नजदीक नहीं जाना चाहिए, बल्कि अपनी नाशा द्वष्टि से देखना एवं समोसरण में बैठा हुआ हूं।
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दर्शन का तात्पर्य जो मोक्ष मार्ग को दिखाता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि आज दर्शन करने पर, भगवान् की श्र्वासोच्वास नज़र नही आती है, लेकिन दर्शन करते समय उनको समोसरण में बेठे हुए समझना चाहिए,जब भगवान का समोसरण से उनकी वाणी बिखरती है। अतः जीवन में भगवान् के दर्शन करते समय उनके नजदीक नहीं जाना चाहिए, बल्कि अपनी नाशा द्वष्टि से देखना एवं समोसरण में बैठा हुआ हूं।