सजीव / निर्जीव
दोनों ख़ुद गिर सकते हैं (समय के साथ निर्जीव),
दोनों दूसरों को भी गिरा सकते हैं (निर्जीव जैसे जंग, लोहे को)….निकृष्ट।
पर सजीव बन भी सकता है।
निर्जीव स्वयं नहीं बन सकता, उसे सजीव की सहायता लेनी होगी।
सजीव यदि दूसरों को भी सुधारेगा तो महान जीव, जैसे गुरु/भगवान।
चिंतन
One Response
सजीव का मतलब जिसमें जान होती है, जबकि निर्जीव में जान नहीं होती है। उपरोक्त कथन सत्य है कि दोनों गिर सकते हैं। दोनों गिरा सकते हैं, निर्जीव जैसे जंग। निर्जीव निर्माण स्वयं नहीं बन सकता है, उसे सजीव की आवश्यकता लेनी होगी। सजीव दूसरों को भी सुधारेगा, जैसे महान जीव गुरु और भगवान् होते हैं।