सत्ता
राज-सत्ता = दबाब से चलती है,
लोक-सत्ता = प्रेम से चलती है,
प्रभु-सत्ता = विशुद्धि से चलती है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
राज-सत्ता = दबाब से चलती है,
लोक-सत्ता = प्रेम से चलती है,
प्रभु-सत्ता = विशुद्धि से चलती है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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उक्त कथन सत्य है कि सत्ता यानी शासन/राज सत्ता दबाव से चलती है,लोक सत्ता प्रेम से चलती है लेकिन प्रभु सत्ता विशुद्वी से ही चलती है।
अतः जीव को प्रभु सत्ता में आस्था रखना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।