सम्यग्दर्शन
क्षायिक सम्यग्दर्शन में दर्शन मोहनीय के क्षय में 4 अनंतानुबंधी लीं।
वेदक सम्यग्दर्शन में दर्शन मोहनीय के उदय में सम्यक् प्रकृति ली।
उपशम सम्यग्दर्शन में दर्शन मोहनीय के उपशम (यानी दबाना, अनुभाग शक्ति का) में 4 अनंतानुबंधी + मिथ्यात्व। पर यहाँ मिथ्यात्व का उपशम लेना, उसके साथ अनंतानुबंधी का भी हो जाता है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकांड: गाथा– 649)
One Response
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने सम्यग्दर्शन का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।