सम्यग्दर्शन
सम्यग्दर्शन 5 लब्धियों से होता है।
करणानुयोग की अपेक्षा → 7 कर्म प्रकृतियों के क्षय/ क्षयोपशम/ उपशम से।
चरणानुयोग की अपेक्षा → अच्छे/ सच्चे आचरण से।
द्रव्यानुयोग की अपेक्षा → आत्म चिंतन से।
प्रथमानुयोग की अपेक्षा → जिनवाणी पर श्रद्धान/ व्रत पालन से।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकांड: गाथा– 651)
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने सम्यग्दर्शन को परिभाषित एवं उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।