सम्यग्दर्शन की पात्रता

तिर्यंचों को जन्म लेने के अंतर्मुहूर्त के बाद, मनुष्यों में 8 वर्ष के बाद।
कारण ?
तिर्यंच… सुनता-गुनता है, परन्तु बोलता नहीं।
मनुष्य बोलता बहुत है तथा जाल भी बिछाता है।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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3 Responses

    1. तिर्यंच मनुष्य जैसे कपटी नहीं होते हैं। सुनने पर बात समझ में आजाये तो जीवन में उतार लेता है।

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