सामायिक का मतलब समता भाव रखना होता है अथवा सर्व सावध से निवृत्त होना होता है। उक्त सामायिक श्रावक और साधु को करना आवश्यक है । अतः मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि सामायिक में आत्म चिंतन और जाप में परमात्म चिन्तन होता है। Reply
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सामायिक का मतलब समता भाव रखना होता है अथवा सर्व सावध से निवृत्त होना होता है। उक्त सामायिक श्रावक और साधु को करना आवश्यक है ।
अतः मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि सामायिक में आत्म चिंतन और जाप में परमात्म चिन्तन होता है।