संसार में सुख बहुत हैं/ सहयोगी चीज़ें बहुत हैं, आपके सोकर उठने से पहले सूरज उठ आता है। संसार/ मार्गों को प्रकाशित कर देता है।
यदि हम दुखी हैं तो मानिये या तो हमारा ढंग गलत है या गलत ढंगी से जुड़े हैं।
ब्र. डॉ. नीलेश भैया
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सुख को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए दुख एवं सुख में सम भाव रखना परम आवश्यक है।
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