कल्पनाओं में दूर देश बैठे प्रियजनों का स्पर्शन अनुभव करके रोज आनंदित होते हैं।
गुरुओं/ भगवान (अरहंत, सिद्धों) का क्यों नहीं है !
चिंतन
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चिंतन में स्पर्शन को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए कल्पनाओं में उलझने से कोई फल नहीं मिलता है, इसलिए भगवान् एवं गुरुओं का स्पर्शन करना परम आवश्यक है।
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चिंतन में स्पर्शन को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए कल्पनाओं में उलझने से कोई फल नहीं मिलता है, इसलिए भगवान् एवं गुरुओं का स्पर्शन करना परम आवश्यक है।