स्वभाव
आत्मभूत = जो अपने स्वभाव में हो/ आत्मा में हो।
स्व–स्वभाव में अचेतन भी रहते हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र- शंका समाधान)
(फिर हम तो चेतन हैं, हम क्यों नहीं अपने स्वभाव में रह पाते ? दूसरों में हमेशा क्यों उलझे रहते हैं ??)
आत्मभूत = जो अपने स्वभाव में हो/ आत्मा में हो।
स्व–स्वभाव में अचेतन भी रहते हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र- शंका समाधान)
(फिर हम तो चेतन हैं, हम क्यों नहीं अपने स्वभाव में रह पाते ? दूसरों में हमेशा क्यों उलझे रहते हैं ??)
4 Responses
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने स्वभाव की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए आत्मभूत रहना परम आवश्यक है ।
Uncle,
Bracket me kya aapka chintan hai ?
कह सकते हैं।
Okay.