स्वभाव
आत्मभूत = जो अपने स्वभाव में हो/ आत्मा में हो।
स्व–स्वभाव में अचेतन भी रहते हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र- शंका समाधान)
(फिर हम तो चेतन हैं, हम क्यों नहीं अपने स्वभाव में रह पाते ? दूसरों में हमेशा क्यों उलझे रहते हैं ??)
आत्मभूत = जो अपने स्वभाव में हो/ आत्मा में हो।
स्व–स्वभाव में अचेतन भी रहते हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र- शंका समाधान)
(फिर हम तो चेतन हैं, हम क्यों नहीं अपने स्वभाव में रह पाते ? दूसरों में हमेशा क्यों उलझे रहते हैं ??)
One Response
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने स्वभाव की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए आत्मभूत रहना परम आवश्यक है ।