1. स्व (स्वयं की वस्तुयों) का अर्पण
2. मंगल रूप
3. व्यवहार मेंं – सर्वनाश
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स्वाह का वास्तविक अर्थ शान्तीवाचक बीजाक्षर है।इसको पूजा में द़व्य चढ़ाते समय प़योग किया जाता है। अतः उक्त कथन सत्य है कि स्वयं की वस्तुयों का अर्पण करना होता है, इस्को मंगल रुप भी कहते हैं जबकि व्यवहार में सर्वनाश भी कहते हैं। अतः स्वाह को मंगल रुप मानना चाहिए।
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स्वाह का वास्तविक अर्थ शान्तीवाचक बीजाक्षर है।इसको पूजा में द़व्य चढ़ाते समय प़योग किया जाता है। अतः उक्त कथन सत्य है कि स्वयं की वस्तुयों का अर्पण करना होता है, इस्को मंगल रुप भी कहते हैं जबकि व्यवहार में सर्वनाश भी कहते हैं। अतः स्वाह को मंगल रुप मानना चाहिए।