जिसने हार पहनने में अपना सम्मान मान लिया मानो उसकी आत्मा हार गई।
आर्यिका पूर्णमति माता जी (2 अक्टूबर)
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आर्यिका श्री पूर्णमती माता जी ने हार को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए कभी भी सम्मान की इच्छा नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे अहंकार बढता है।
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आर्यिका श्री पूर्णमती माता जी ने हार को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए कभी भी सम्मान की इच्छा नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे अहंकार बढता है।