Category: अगला-कदम

निमित्त नैमित्तिक सम्बंध

सूर्य के निमित्त से मैं गरम होता हूँ, पर गर्मी मेरी है। यह निमित्त नैमित्तिक सम्बंध से हुआ, हैं दोनों स्वतंत्र। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर

Read More »

करण और भाव

तीन करण… मिथ्यादृष्टि के भी होते हैं जब वह सम्यग्दर्शन के सम्मुख खड़ा होता है। तब औदयिक भाव होते हैं। श्रेणी मांडते समय आदि पाँच

Read More »

ईर्यापथ आस्रव

एक समय की स्थिति का निवर्तक ईर्यापथ कर्मबंध अनुभाग सहित है ही। इसी कारण से ईर्यापथ कर्म स्थिति और अनुभाग की अपेक्षा अल्प है। एस.के.जैन

Read More »

शुक्ल ध्यान

1. पृथक्त्वविर्तक वीचार I. वीचार = परिवर्तन सहित II. पृथक-पृथक अर्थ/ पर्याय/ योग (मन या वचन या काय) पर शुक्ल ध्यान 2. एकत्व वितर्क अविचार

Read More »

षट भाग हानि लाभ

संख्यात भाग, असंख्यात, अनंत भाग हानि के बाद लाभ में अनंत भाग लाभ, असंख्यात, संख्यात भाग लाभ आयेगा। समझने के लिये एक कपड़े के संख्यात

Read More »

सचित्त-त्याग प्रतिमा

श्री रत्नकरण्ड श्रावकाचार में… सचित्त-त्याग प्रतिमा वाले को “दया की मूर्ति” कहा है। यानी सचित्त फल-सब्जियों को जीव सहित माना/ खाने पर हिंसा मानी। महापुराण

Read More »

समय

एक समय → निश्चय काल की अपेक्ष….. द्रव्य। व्यवहार काल की अपेक्षा… पर्याय। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जिज्ञासा समाधान)

Read More »

जीव / अजीव

1. जीव तथा अजीव (अणु) दोनों ही एक समय में 14 राजू गति कर सकते हैं। 2. दोनों पूरे लोकाकाश को घेर सकते हैं। (पुद्गल

Read More »

देशघाती / सर्वघाती

देशघाती में सर्वघाती द्रव्य भी रहता है, सर्वघाती में देशघाती नहीं जैसे अनंतानुबंधी। क्षयोपशम में देशघाती तथा सर्वघाती दोनों रहते हैं जैसे ज्ञानावरणादि में। कमलाबाई

Read More »

भाव / उपयोग

पारिणामिक भाव चैतन्य भाव के हमेशा साथ (भव्यत्व या अभव्यत्व/ जीवत्व)। उपयोग अनेक तरह से परिवर्तित, भावात्मक परिणति भाव से उपयोग में परिवर्तन। उपयोग में

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives

May 2, 2024

May 2024
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031