Category: अगला-कदम

नरकों में पटल

पहली पृथ्वी (नरक) में 13 पटल। नीचे-नीचे, दो-दो कम होते हुए सातवीं में 1 पटल। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड गाथा – 524)

Read More »

देवों की उत्पत्ति

मिथ्यादृष्टि देव, पृथ्वी, जल, वनस्पतिकायिक बादर पर्याप्तक में जन्म ले सकते हैं। पर अग्नि, वायुकायिक में नहीं क्योंकि वहाँ के लिये बहुत संक्लेषित भाव होने

Read More »

उपभोग

मुनियों का उपभोग – प्रवचन, आहार क्रिया, पर रागद्वेष रहित, इसलिए बंध नहीं। श्रावकों का रागद्वेष सहित सो बंध का कारण। श्रावक कम से कम

Read More »

पंचम काल में भाव

पंचम काल में औदयिक भाव (गति, कषाय, शरीर नाम कर्म आदि) सबसे ज्यादा होते हैं। दूसरे स्थान पर क्षयोपशमिक भाव(ज्ञान, दर्शन)। पारिणामिक तो हमेशा बना

Read More »

द्रव्य-इंद्रिय

स्पर्शन → अनेक प्रकार वाली (1 इंद्रिय से 5 तक)। रसना → खुरपा की Shape, जिव्हा बाह्य उपकरण। घ्राण → अतिमुक्ता पुष्प (तिल का फूल)।

Read More »

मतिज्ञान

पर्याय प्रति समय परिवर्तित होती रहती है। जब एक ही वस्तु को दुबारा देखते हैं तो वस्तु बदल चुकी होती है। सो ज्ञान हर बार

Read More »

आयुबंध

कषाय के उदय स्थानों में 8 मध्यम अंश हैं जो आयुबंध के योग्य हैं। हर लेश्या में – शिला, पृथ्वी, धूलि, जल जैसी तीव्रता, तो

Read More »

मूर्ति

पाषाण की मूर्ति वास्तव में दिगम्बरत्व का असली प्रतीक है, इसमें अवांछनीय पदार्थ (छाँट-छाँटकर) निकाल दिया जाता है। जबकि धातु की मूर्ति में संग्रह होता

Read More »

द्रव्य लेश्या

वर्ण-नामकर्म के उदय से शरीर का वर्ण होता है। इसे लेश्या इसलिए कहा क्योंकि यह शरीर का रंग बनाती है और रंग से गोरे/ काले

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

September 9, 2023

May 2024
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031