शुक्ल ध्यान
1. पृथक्त्वविर्तक वीचार
I. वीचार = परिवर्तन सहित
II. पृथक-पृथक अर्थ/ पर्याय/ योग (मन या वचन या काय) पर शुक्ल ध्यान
2. एकत्व वितर्क अविचार – किसी भी योग के साथ
3. सूक्ष्म क्रिया प्रतिपाति – आयु पूर्ण होने के अंतर्मुहूर्त पहले सूक्ष्म काय योग
4. व्युपरत क्रिया निवृत्ति – वि (विशेष रूप से) + उपरत (दूर हो गयी) + क्रिया (योग) + निवृत्ति। योग रहित ध्यान।
I. वितर्क = भावश्रुत ज्ञान से
II. वीचार = परिवर्तन सहित
III. अप्रतिपाति = गिरना नहीं।
तत्त्वार्थ सूत्र – अध्याय 9/सूत्र. 41 – पहला व दूसरा ध्यान – वीचार सहित।
तत्त्वार्थ सूत्र – अध्याय 9/सूत्र. 42 – दूसरा ध्यान – अवीचार सहित।
क्योंकि दूसरे ध्यान में पलटन नहीं/ एक योग पर ही चिंतन।
One Response
शुक्ल ध्यान को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः शुक्ल ध्यान करने का प़यास करना परम आवश्यक है ताकि मोक्ष मार्ग पर चलने में समर्थ हो सकें ।