अर्धनारीश्र्वर भी भगवान का ही नाम है। भगवान को आनन्द और सुख के लिए नारी की आवश्यकता नहीं होती है। भगवान का समता भाव सभी प़ाणी के लिए होता है। Reply
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अर्धनारीश्र्वर भी भगवान का ही नाम है। भगवान को आनन्द और सुख के लिए नारी की आवश्यकता नहीं होती है। भगवान का समता भाव सभी प़ाणी के लिए होता है।
Can meaning of “समता भाव पुरुष, नारी में ” ,be explained please?
भगवान की द्रष्टि में पुरुष और नारी एक/ समता भाव ।
Okay.