अहिंसा
आ.श्री …रात्रि में लाइट जलाकर स्वाध्याय नहीं करना।
रात्रि का प्रतिक्रमण याद नहीं है तो रात्रि वाला दिन में कर लेना, जब तक याद ना हो जाय।
शिष्य…सुबह समय कम रहता है, आहार आदि पर जाना होता है?
आ.श्री…आधा प्रतिक्रमण आहार से पहले, आधा आहार के बाद कर लिया करो, पर अहिंसा-महाव्रत में शिथिलता नहीं आने देना।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
5 Responses
अहिंसा जैनों के लिए परम धर्म है। अतः आचार्य श्री का कथन सत्य है कि रात्रि में स्वाध्याय नहीं करना चाहिए। रात्रि का प़तिकमण दिन में करना उचित है। सुबह समय कम रहता है, आहार के पूर्व आधा एवं आहार के बाद कर सकते हैं। अतः आहार हो या प़तिकमण रात्रि में नहीं करना चाहिए ताकि हिंसा का दोष नहीं लगे।
Acharya shri ne ye “muniyon” ke liye bataya hai?
मुनि भी ऊँची चर्या वाले।
हाँ, वह भी उत्कृष्ट चर्या वाले मुनिराज।
Okay.