आत्मा
आत्मा ज्ञान प्रमाण है,
ज्ञान ज्ञेय प्रमाण,
ज्ञेय अनंत हैं;
तो आत्मा कितनी शक्तिशाली हुई !
फिर आज इतनी कमजोर कैसे ?
शक्तिशाली अपराधी भी नज़र नहीं मिला पाता।
रागद्वेष/अपराध जो आत्मा से होता आ रहा है।
जिनवाणी माँ की बात नहीं मानी जैसे दुर्योधन ने गांधारी माँ की बात नहीं मानी थी, उससे ही वह कमजोर होकर हार गया था।
मुनि श्री सुधासागर जी
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आत्मा का तात्पर्य जो यथासंभव ज्ञान दर्शन, सुख आदि गुणों में वर्तता या परिणमन करता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जो अपनी आत्मा का स्वरूप जानता है, वही जिनवाणी पर श्रद्वान करता है/ वही शक्तिशाली रहता है। जो जिनवाणी पर श्रद्वान नहीं करता है,वही दुर्योधन जिसने मां गंधारी की नहीं मानी थी,इसी कारण से शक्तिशाली होते हुए भी पराजित हुआ था। अतः जो जीवन में जिनवाणी पर श्रद्वान करता है,वह जीवन में अवश्य सफल हो सकता है।