आनंद / मज़ा

संसारियों को आनंद नहीं, मज़ा (मिर्च मसाले वाला) चाहिये।
मज़ा में कर्म बंधते हैं, आनंद में कटते/ घटते हैं।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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One Response

  1. आनन्द और मज़ा में बहुत अंतर होता है । आनन्द आत्मा में होता है जबकि मज़ा बाहरी रुप होता है और क्षणिक होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि संसारी आनन्द नहीं बल्कि मज़ा चाहता है। मज़ा में कर्म बंधते हैं, जबकि आनन्द में कर्म कटते हैं। अतः जीवन में मज़ा छोड़कर आनन्द की प्राप्ति करने का प्रयास करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।

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