1) उत्तम शरीर – चक्रवर्ती आदि (मोक्षगामी नहीं)
2) चरम शरीर – 3 पांडव (मोक्षगामी)
3) उत्तम चरम शरीर – तीर्थंकर।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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3 Responses
चरम का अर्थ अंतिम है।जिस जीव को उसी भव से मोक्ष प्राप्त होना होता है,उसी जीव का शरीर चरम शरीर कहलाता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि उत्तम शरीर चक्रवर्ती आदि का यानी जो मोक्षगामी नहीं है, लेकिन चरम शरीर तीन पांडवों का जो मोक्षगामी थे। उत्तम चरम शरीर सिर्फ तीर्थंकर का होता है।
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चरम का अर्थ अंतिम है।जिस जीव को उसी भव से मोक्ष प्राप्त होना होता है,उसी जीव का शरीर चरम शरीर कहलाता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि उत्तम शरीर चक्रवर्ती आदि का यानी जो मोक्षगामी नहीं है, लेकिन चरम शरीर तीन पांडवों का जो मोक्षगामी थे। उत्तम चरम शरीर सिर्फ तीर्थंकर का होता है।
Bhatat Chakravarthy achieved moksha even though he was chakraborty.
In this item term उत्तम चरम शरीरी is clarified.
Not only Chakraborty, even ordinary person can attain Moksha.