उपसर्ग केवलज्ञान से पहले 12वें गुणस्थान तक हो सकते हैं
पं.रतनलाल बैनाड़ा जी
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उपसर्ग साधुओं पर आने वाली विपत्तियों और संकट को कहते हैं।
इसके अलावा जो मुनि उपसर्ग सहन करते हुए घातिया कर्मों को जीतकर केवलज्ञान प्राप्त करते हैं उनको उपसर्ग केवली कहते हैं। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि उपसर्ग केवलज्ञान से पहले 12 वें गुणस्थान तक ही हो सकते हैं।
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उपसर्ग साधुओं पर आने वाली विपत्तियों और संकट को कहते हैं।
इसके अलावा जो मुनि उपसर्ग सहन करते हुए घातिया कर्मों को जीतकर केवलज्ञान प्राप्त करते हैं उनको उपसर्ग केवली कहते हैं। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि उपसर्ग केवलज्ञान से पहले 12 वें गुणस्थान तक ही हो सकते हैं।