3 प्रकार का – तामसिक – हर समय चिड़-चिड़ करते रहना,
राजसिक – अपना रौब बनाये रखने के लिये ,
सात्विक – सामने वाले की भलाई के लिये ,
इसमें प्रवृति बदल जाती है, समझाना भी आ जाता है ।
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क़ोध—अपने और दूसरे के घात या अहित करने रुप क़ूर परिणाम को कहते हैं।अतः यह सत्य है कि यह तीन तरह के होते हैं।
तामसिक—हर समय चिड़-छिड़ करते रहना है,
राजसिक—अपने रोब बनाये रखने के लिए होता है जब कि सात्विक-सामने वालो के भलाई के लिए होता है। तीसरे में प़वृति बदल जाती है जिसमे समझाना भी आ जाता है।
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क़ोध—अपने और दूसरे के घात या अहित करने रुप क़ूर परिणाम को कहते हैं।अतः यह सत्य है कि यह तीन तरह के होते हैं।
तामसिक—हर समय चिड़-छिड़ करते रहना है,
राजसिक—अपने रोब बनाये रखने के लिए होता है जब कि सात्विक-सामने वालो के भलाई के लिए होता है। तीसरे में प़वृति बदल जाती है जिसमे समझाना भी आ जाता है।